शब्द
हमारे पास शब्दों की कमी
बहुत यही वजह है कि
बचा नहीं सकते कुछ भी एसा
कि जैसे चिड़िया की चहचहाहट
सब कुछ होते हुए भी शब्दों का न होना
कुछ नहीं होने जैसा है
दीवार है हमारे पास
जिसे खड़ा करते हम अपने चारों और
जीवन के भीतर एसा कोई उजास नहीं
जिसके बल पर खड़ी की जा सकती हो कोई इमारत
न कोई एसा ठिकाना कि आसपास महसूस हो जीवन
एसी कोई आवाज भी नहीं
जिसकी धमक से खिंचा चला आए कोई
और सुने हमें धरती पर जीवन रहने तक
शब्दों के बिना हम कैसे सुना सकते हैं जीवनराग
कैसे बताएं कि तितली का
रंग और सुगंध से बहुत गाढा रिश्ता है
जैसे शब्द का भाषा और संस्कृति से
बिना शब्दों के मनुष्यता से तो बाहर होते ही हैं
भाषा की दुनिया में भी नहीं हो सकते दाखिल ।
लेबल: कविता
15 टिप्पणियाँ:
हमारे पास शब्दों की कमी
बहुत यही वजह है कि
बचा नहीं सकते कुछ भी एसा
कि जैसे चिड़िया की चहचहाहट
bahut achchhi kavita hai papa asehi
likte rhiye
bahut acchi kavita .........
आपकी रचनाधर्मिता का कायल हूँ. कभी हमारे सामूहिक प्रयास 'युवा' को भी देखें और अपनी प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करें !!
Shabd sadhakon ke liye ek sandesh hai yah kavita.
कई दिनों बाद लॉटा और यह कविता देखी।
सच तो है शब्द ना हो तो शायद कुछ भी नही होगा इतना सुन्दर और साजिश हो रही जब इसके खिलाफ़ तो कवि को दर्ज़ कराना ही होगा अपना प्रतिरोध।
कैसे बताएं कि तितली का
रंग और सुगंध से बहुत गाढा रिश्ता है
जैसे शब्द का भाषा और संस्कृति से
बिना शब्दों के मनुष्यता से तो बाहर होते ही हैं
भाषा की दुनिया में भी नहीं हो सकते दाखिल ।
Behtar chintan
bahadur bhai
aapne bahut achchhi kavita post ki hai.
achchhe bimbon aur pratikon ka istemal kiya aapne.
bahut badhai aapko.
mera khata nahin hai.
upar tippani me naam dena bhul gaya tha.
-rajesh karpenter.
amitji, yuvaji, sandhyaji, ashokji, pradeepji, rajeshji
aap sabhi ka bahut-bahut dhanywaad.
sahi ja rahe ho pyare! lage raho!!
nishabd karti ek kavita...
ravindra bhai aur varsha ji aapako bahut-bahut dhanywaad.
iss kavita me kuch panktiya achchhi hone ka prashn hi nahi uthta.puri kavita hi sundar bhasha se susajjit hai.vastav me shabdon ke bina jivan vyarth hai.papa aapki rachna adbhut hai.i really love your poems.
best wishes.
bahut khoob bhavavyakti hai
बहुत सुंदर कविता। बधाई।
मेरे मन में अक्सर आता रहा विचार
आपके शब्दों में रु-ब-रु पाया। शुक्रिया।
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