तुम्हारा मुस्कुराना इस तरह दिल में हलचल पैदा करता है मानो हरी-हरी कोंपलें निकलने के लिए आतुर हों और मैं उस पौध को सींच रहा हूँ अनवरत ताकि कोंपलें निकलती रहें लगातार, लगातार।
जब भी आपकी कवितायें पढ़ी हैं या सुनी हैं सिवा बेहतरीन के और कोई शब्द सूझा नहीं। जिसे कहना भी हमेशा नाकाफी लगा। अरसा हुआ कि आपसे मुलाक़ात नहीं हुई बहरहाल अब इस संचार के नए माध्यम से मुलाक़ात होती रहेगी।
इस बार भी आपके शब्द-चित्रों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए मैं मौन ही रहूँगा।
sahil bhai shukriya.ab mulakat hoti rahegi. kuchh kavitayen jald hi dalane wala hoon. main santur nahin bajata.blog par maine apani pasand ki rachanayen post kar raha hoon.
14 टिप्पणियाँ:
बहादुर भाई ,
कमाल की भाषा है यार... मज़ा आ गया .. बधाई
बहुत ही सुन्दर
bahut achcha likha hai ....muskrahat ko itni behter tarike se pesh kiya hai ....
keep it up...
Bahut khub likha hai aapne. Badhai.
बहादुर भाई,
जब भी आपकी कवितायें पढ़ी हैं या सुनी हैं सिवा बेहतरीन के और कोई शब्द सूझा नहीं। जिसे कहना भी हमेशा नाकाफी लगा। अरसा हुआ कि आपसे मुलाक़ात नहीं हुई बहरहाल अब इस संचार के नए माध्यम से मुलाक़ात होती रहेगी।
इस बार भी आपके शब्द-चित्रों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए मैं मौन ही रहूँगा।
sahil bhai shukriya.ab mulakat hoti rahegi. kuchh kavitayen jald hi dalane wala hoon.
main santur nahin bajata.blog par maine apani pasand ki rachanayen post kar raha hoon.
Waah ! sundar.
सींच रहा हूँ अनवरत
ताकि
कोंपलें निकलती रहें
लगातार, लगातार।
" बहुत नाजुक जज्बातों की अभिव्यक्ति, अति सुंदर"
regards
एक अलग तरह की रचना पढ़ने को मिली ...बहुत खूब...
बहुत सुन्दर रचना है।बधाई स्वीकारें।
ashokji, preetiji, poonamji, sandhyaji, sahilji, ranjanaji, simaji, bhawanaji, paramji aap sabhi mere blog par aye aur apani tippani di. mujhe achchha laga, apane kavita padhi. mujhe taqat di aap sabhi ka dhanywad.aage bhi isi tarah mouse ko clic karake ki bord par apani ungliyon se virajen.
wah!kya baat hai,bahut hi sundar !
very nice imagination.. :)
alpana ji, sahityika ji aap logon ne tippani ki aapaka bahut dhanywaad.
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