ऍन सुबह चाँद बहुत सुन्दर लगा जाते-जाते उसने अलविदा कहा फिर मिलने के वास्ते कुछ टुकड़े चांदनी के बिखर गए उसकी रोशनी से सूरज की लालीमा धुल गई साफ झक्क सूरज चमक रहा आसमान में।
Respected Patel ji, apko mere kaviton ke tareef ke liye dhanyavad.Apkee kavtaen maine padhee .Apkee kavitayen prakriti ke kafee najdeek hain...inmen prakriti ke anukool hee komal shbdon ka chayan bhee kiya gaya hai.Badhai.
संधिकाल का सजीव चित्रण /पटेल जी यही जिंदगी है / चाँद वादा करके चला जाता है ,आने का फिर मिलने का और अपनी यादों की चांदनी छोड़ जाता है और उन यादों की चांदनी में हमारे अरमान ,अपेक्षाएं ,धुलते रहते हैं
12 टिप्पणियाँ:
्क्या चित्र है … वाह
कुछ टुकड़े चांदनी के बिखर गए
उसकी रोशनी से सूरज की
लालीमा धुल गई
bahut sundar rachna
bahut achhaa kahaa janaab
सुन्दर रचना ...
Ummeed ki gahri kiran...adbhut aabhas.
Respected Patel ji,
apko mere kaviton ke tareef ke liye dhanyavad.Apkee kavtaen maine padhee .Apkee kavitayen prakriti ke kafee najdeek hain...inmen prakriti ke anukool hee komal shbdon ka chayan bhee kiya gaya hai.Badhai.
ek saundarypurn pralritik rachna-bahut achhi
संधिकाल का सजीव चित्रण /पटेल जी यही जिंदगी है / चाँद वादा करके चला जाता है ,आने का फिर मिलने का और अपनी यादों की चांदनी छोड़ जाता है और उन यादों की चांदनी में हमारे अरमान ,अपेक्षाएं ,धुलते रहते हैं
sunder shabdon ka sangam!
aapakee abhivyakti achchhee hai , badhaayee svikaaren !
sundar rachanaa
aapake blog par pahali bar aaya, achchhaa lagaa, aise hee likhate rahen !
एक टिप्पणी भेजें
सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें [Atom]
<< मुख्यपृष्ठ