खेतों में हल चला कंठ से गीत निकला.
कितना अच्छा लगता है जब किसी किसान को हल चलाते देखते है
बेलों के गले में घुंघरू की आवाज के साथ
किसान अपनी आवाज मिलाता है
दोनों आवाज जब मिलती है
हल की फाल की नोक पर बेठ जाती है
mitti में samakar उसे upajavu banati है
लेबल: hal
4 टिप्पणियाँ:
bahut achchha jari rakhana hoga.
kavita.
आप ज़मीन से जुड़े हुए हैं .
ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .
ek sujhaav hai ki apne tipanni column se word verification hata dijiye jisse ye karne mein sabko aasaanee rahe
anupam ji apane sujhaav diya isake liye dhanyawad. tipanni column se word verification hata liya hai.
anupam ji pahali bar mere blog par aane wale pahale vykti hai.bahut hi achchha laga.dhanywad.
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